Wednesday, October 27, 2021

गुरु दर्शन व संत समागम मेला राजधानी गुरु द्वारा गुरु गद्दी भंडारपुरीधाम 1820 -2021

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  सतनाम सेना  

  गुरु दर्शन संत समागम मेला 2021  

  महाराजा धर्म गुरु बालकदास बाबा जी की राजधानी गुरु द्वारा 

                                                        गुरु गद्दी भंडारपुरी धाम - ( छत्तीसगढ़ ) 

 


संजीव कुमार -
धर्म गुरु  महाराजा गुरु बालकदास बाबा जी -  गुरु बालकदास (जन्म 18 अगस्त 1801 ई. - मृत्यु 28 मार्च 1860 ई.) महान क्रांतिकारी, समाज सुधारक , युग पुरुष और मानवाधिकार के लिए सतनाम  आंदोलन के प्रणेता व सतनाम धर्म के संस्थापक गुरु घासीदास बाबा  जी के द्वितीय पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे। 

गुरु बालकदास जी का जन्म 18 अगस्त सन् 1801 ईं. को दक्षिण एशिया मे भारत के मध्यप्रांत के छत्तीसगढ मे स्थित सोनाखान रियासत के गिरौद गांव मे गुरु घासीदास जी और सफूरा माता के पुत्र के रूप मे हुआ.अपनी कम उम्र मे ही इन्होने सन 1820 ई. से चले सतनाम आंदोलन मे बढ़-चढ़कर हिस्सा लिए और नेत्रृत्वकारी भूमिका निभाई. इनका सोनाखान के राजा रामराय के पुत्र वीर नारायण सिंह और आदिवासियों से मित्रतापुर्ण संबंध था।


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(महाराजा धर्म गुरु बालकदास बाबा जी की राजधानी भंडारपुरी धाम   

गुरु बालकदास जी का विवाह ढारा नवलपुर (बेमेतरा) के निवासी सुनहरदास चतुर्वेदी की सुपुत्री नीरा माता के साथ हुआ । नीरामाता, साहेब भुजबल महंत जी के बहन थी । उसी वर्ष गुरुजी ने चितेर सिलवट के बेटी राधा संग भी विवाह किये । गुरुबालकदास और राधा माता से उनके पुत्र साहेबदास जी का जन्म हुआ। 
 गुरु घासीदास जी के विचारों का प्रभाव बचपन से ही पड़ा था. इसलिए जब सन 1820 ईस्वी मे सतनामी आंदोलन प्रारंभ हुआ, तो बालकदास जी ने उसमे बढ़ चढ़कर अपना योगदान दिया. उनके महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण गुरु घासीदास जी के बाद सन 1850 मे सतनामियों का प्रमुख गुरु बनाया गया. गुरु बालकदास जी ने नेतृत्व संभालने के बाद आंदोलन को पूर्व की भांति पुरे गति से आगे बढ़ाया।

गुरु  बालकदास बाबा जी राज पाठ  २० वर्ष की युवा में अपने अधीन कर लिए गुरु जी राज्याभिषेक पहली बार भंडारपुरी धाम दशहरा के दिन में हुआ था राजशाही पोषक, शिर में सफ़ेद पगड़ी जिश्मे मोती लगे जैतखाम माथे को शुशोभित करते हुए,  हाँथ में चांदी की तलवार,तब्बल हांथी में सवार ,घोडा ,ऊठ   सतनाम सेना व् सतनाम आंदोलन  में जुड़े मानव समाज के साथ भण्डारपूरी गुरु गद्दी में  आरती पूजा कर मानव समाज को  दर्शन देने के लिए रामत में निकले  जिसे पूरा मानव समाज गुरु के आशीर्वाद के लिए हज़ार लाखो की जन समूह में लोग भंडारपुरी में  आने लगे !

 (महाराजा धर्म गुरु बाल दास बाबा जी) 

तब से लेकर आज  तक यहाँ राजशाही परम्परा 201 वर्षो से  चले आ रहा है  गुरु दर्शन मेला दशहरा मेला के दिन प्रतिवर्ष आयोजन  होता  है वही राजशाही ठाठ बाठ के साथ अभी  भी वर्तमान में परम पूज्य गुरु घासीदास बाबा जी के पांचवे वशज का जन्म  18 अक्टूबर 1958 को हुआ है, सतनाम धर्म व  सतनाम सेना राष्ट्रीय अध्यक्ष  आन , बान , शान आदेशक, निर्देशक मार्गदर्शक  धर्म गुरु महाराजा गुरु गुरु बाल दास बाबा जी धर्म गुरु महाराजा गुरु शूरवीर गुरु बालक दास बाबा जी के राजशाही पोषक हाँथ में तलवार हांथी घोड़ा अंग रक्षक  सतनाम सेना  व मानव समाज के साथ  दसहरा के दिन रामत में निकलते है और लाखो की जनसैलाब भंडारपुरी में उमड़ पढ़ते है |

 सन 1857 मे भारत मे ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ सैन्य विद्रोह हुआ. जिसे इस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पुरी तरह विफल कर दिया. इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत का शासन कंपनी के हांथ से अपने अधिन कर लिया. सुव्यवस्थित रूप से शासन करने के लिए मालिक मकबूजा कानून लागू किया गया. जिसके तहत ऐसे काश्तकार जो अपने जमीनों पर सन 1840 से काश्तकारी कर

महाराजा गुरु धर्म गुरु बालक दास बाबा जी
व सतनाम सेना दुर्लभ छवि  1835 ईश्वी 


रहे हो, उनको सर्वे के बाद मालिकाना हक देने का फैसला किया गया था.सतनामी आंदोलन के दौरान छत्तीसगढ़ के लोगों ने पेशवाशाही मराठों के द्वारा अपने छिने हुए भूमि संपत्तियों पर दोबारा अधिकार कर लिया था.मैदानी क्षेत्र के लगभग आधे भूभाग पर अपने जनसंख्या [सतनामियों का जनसंख्या छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों मे आधा था] के अनुपात मे कब्जा था.नये कानून से उन सभी भूमि संपत्तियों पर सतनामियों का कानून अधिकार होता.कानून मे यह भी प्रावधान था, कि अगर कोई विवाद होता है. तो उस क्षेत्र के मान्य मुखिया के राय को महत्व देते हुए निर्णय लिया जाएगा.गुरु बालकदास को मैदानी इलाकों के आधी आबादी के लोग अपने गुरु और मुखिया मानती थी. नये कानूनी प्रावधान से उनका हैसियत महाराजा की  तरह हो चुका था. इसलिए आमजन उन्हें
 महाराजा गुरु कहते थे.इसके अलावा उनका प्रभाव आदीवासियों के ऊपर भी था. सोनाखान के आदिवासी नेता वीर नारायण सिंह से काफी मित्रतापूर्ण संबंध था, गुरु जी से बहुत प्रभावित थे 
2016  गुरु दर्शन मेला 

मालिक मकबूजा कानून से जातिवादी सामंती ताकतों मे खलबली मच गया. क्योंकि वे जानते थे कि एक बार अगर सरकारी दस्तावेजों मे जमीनों के वास्तविक मालिकों का नाम दर्ज हो गया. तो उनको बेदखल नहीं कर सकते.वे गुरु बालकदास जी के रहते सतनामियों के विरुद्ध कुछ भी कार्यवाही नहीं कर सकते थे. छत्तीसगढ़ मे किसी का साहस नही था, की कोई उनको टेढ़ी नजर से भी देख सके. इसलिए सामंती तत्वों ने गुरु बालकदास जी के हत्या करने का राष्ट्रव्यापी षड़यंत्र किया.छत्तीसगढ़ से बाहर के अपराधी किस्म के लोगों को कहा गया कि छत्तीसगढ़ मे एक आदमी का हत्या करना है, और यहां के हजारों हजार एकड़ जमीन पर कब्जा करना है.बाहरी अपराधियों को छत्तीसगढ़ बुलाया गया उनको सैन्य प्रशिक्षण दिया गया।


गुरु बालकदास जी बोड़सरा बाड़ा- बिलासपुर के देखरेख का जिम्मा अपने अंगरक्षक को सौंपकर रामत [दौरा] के लिए निकले. कुछ दिनों के बाद
 आमाबाँधा रायपुर मे रावटी [मीटिंग] का आयोजन किया गया. जिसमें गुरु बालकदास जी गये. गुरु बालकदास जी 27 मार्च 1860 को रात मे  अंगरक्षक सराह  जोधइ के जब विश्राम कर रहे थे, तो दुश्मनों ने योजनाबद्ध तरीके से उनको लक्ष्य बनाकर अचानक प्राणघातक हमला कर दिया.प्रारंभिक अफरातफरी के बाद उनके सूरक्षा दस्ते ने संभलते हुए आक्रमण का मुकाबला किया.हमलावर मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए.इस संघर्ष मे गुरु बालकदास जी गंभीर रूप से घायल हो गए थे.सुरक्षा दस्ता उनको भंडारपुर -बलौदाबाजार जो सतनामियों का तत्कालिन राजधानी था. वहां ले जाना चाहते थे, लेकिन अचानक रास्ता बदलकर नवलपुर ले जाने लगे. रास्ते में कोसा नामक गांव मे 28-मार्च 1860 ईस्वी को उन्होंने अंतिम सांस लिया.उनके पार्थिव देह को नवलपुर- बेमेतरा मे दफ़न किया गया. बोड़सरा से निकल कर बोड़सरा या भंडारपुर फिर कभी वापस नही आए. इस प्रकार सतनामी आंदोलन के महानायक महाराजा  राजा-गुरु बालकदास जी ने हमारे भूमि संपत्ति और सतनामी सम्मान का रक्षा करते हुए शहीद हो गए... !!

                                          ( गुरु दर्शन मेला का अद्भूत  छवि ) 

(हाँथी में सवार महाराजा गुरु  धर्म गुरु बाल दास बाबा जी व गुरु शोमेश बाबा जी
गुरु खुशवंत बाबा जी ) 

                                        

( महाराजा गुरु धर्म गुरु बाल दास  बाबा जी चित्र 1. २  ) 

      
( गुरु बालदास बाबा जी  चित्र 1. 3 )


( धर्म गुरु परिवार आरती पूजा गददी ) 
                                          पूरा गुरु दर्शन  वीडियो इस लिंक पर जाकर देख सकते है 

      https://www.youtube.com/watch?v=4vknPrGqe8s

 

         
 महाराजा गुरु  बाल दास बाबा जी अपने युवराज गुरु जी अपने पुत्रो के साथ मंच पर 

                  १.गुरु ढाल दास बाबा जी , २ गुरु शोमेश बाबा जी  ,३ गुरु खुशवंत बाबा जी ,४ गुरु शौरभ बाबा जी  

( संत समाज को आशीर्वाद देते )

(गुरु शौरभ बाबा जी और गुरु नशी बाबा जी )

अध्यात्मदर्शी गुरु शोमेश बाबा जी सतनाम
( अध्यात्मिक शक्ति परिवार संस्थापक  )


 ( धर्म गुरु ढाल बाबा जी ) 
(धर्म गुरु खुशवंत बाबा जी) 

 ( धर्म गुरु शौरभ बाबा जी )

(धर्म गुरु नशी साहेब जी) 


 (धर्म गुरु शौरभ बाबा जी द्वारा प्रशति पत्र लेते संजीव कुमार @iamsanjivk )



 (भंडारपुरी धाम संत समाज रात्रि कार्यक्रम का आनंद मग्न गुरु वाणी सुनते हुए) 
                                   
(सूर्य कांत सतनामी जी  गुरु दर्शन मेला का आनंद लेते हुए)  

( गुरु बालक दस बाबा जी के  राजशाही पोशाग 201 वर्षो के समयकाल २ शताब्दी पूरा )

(गुरुजन  रामत में जाते वक़्त आरती
 पूजा गुरु माताओ के द्वारा) 
(राजमाता श्री मति ललिता माता जी  - धर्म गुरु बाल दास बाबा जी की माँ जी )

(गुरु माता जी आरती करती हुयी )


( सतनाम सेना )

साधु 
(गुरु दर्शन मेला में आए साधु जी )
(नोट -  कृपया इसे अधिक से अधिक शेयर करे अपने इतिहास के बारे पढ़े जाने )

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