(भंगाराम माई) |
उन्हे भी बराबर सजा मिलती है। केशकाल को बस्तर का प्रवेशद्वार कहा जाता है। कोंडागांव जिले में स्थित केशकाल अपने मनभावन दृश्यों एवं केशकाल घाट के लिये विश्वप्रसिद्ध है। इसी केशकाल के पास ही भंगाराम माई की देवगुड़ी अवस्थित है। प्रतिवर्ष भादो माह की शुक्ल प्रतिपदा को भंगाराम माई के देवगुड़ी में जातरा आयोजित होता है। इस जातरे में सैकड़ो ग्रामीण अपने देवी देवताओं को लेकर माई के अदालत में उपस्थित होते है। भंगाराम माई की देवगुड़ी सैकड़ो वर्ष प्राचीन है। यहां प्रतिवर्ष ग्रामीण अपनी ग्राम में किसी भी प्रकार अपशकुन प्राकृतिक आपदा या किसी अनहोनी की समस्या को लेकर आते है। इन समस्याओं के पीछे मान्यता होती है कि अमूक देवता के कारण यह समस्या या विपत्ति आयी है जिसमें ग्रामीण फरियादी एवं आरोपित देवता भंगाराम माई के न्यायालय में उपस्थित होते है। भंगाराम माई न्यायाधीश के रूप में सिरहा गायता के माध्यम से दोनों पक्षों के आरोप एवं दलीलों को सुनती है उसके बाद दोषी देवता को बर्खास्तगी या उनकी पूजा बंद करने की सजा सुनाई जाती है। कभी कभी देवताओं को कैद करने की सजा भी दी जाती है । ऐसे देवताओं के मंदिर परिसर में बने कारागार में छोड़ दिया जाता है। और वहीं जो देवता निर्दोष होते है उन्हे ससम्मान दोष मुक्त किया जाता है।