Friday, July 11, 2025

कलम का बोझ और खाली जेब

लेख शीर्षक: कलम का बोझ और खाली जेब 

एक छात्र की अंतर्वेदना 

"कलम" ज्ञान का प्रतीक है, लेकिन जब वह गरीब जेब से टकराती है, तो आवाज़ सिर्फ़ काग़ज़ पर नहीं, दिल में भी गूंजती है। 

छात्र जीवन को अक्सर जीवन का सुनहरा काल कहा जाता है। यह वो समय होता है जब सपने बुनते हैं, लक्ष्य तय होते हैं और मेहनत की नींव पर भविष्य की इमारत खड़ी होती है। पर हर कहानी चमकदार नहीं होती। बहुत से छात्र ऐसे भी होते हैं जिनके सपनों पर गरीबी की धूल चिपकी होती है — जिनके पास किताबें होती हैं, पर स्कूल की फीस भरने के लिए पैसे नहीं होते। उनके पास कलम होती है, लेकिन खाली जेब उसे बोझ बना देती है।

1. शिक्षा की प्यास, लेकिन साधनों की कमी 

कई बार छात्र महंगे कोचिंग सेंटर की ओर देख तो लेते हैं, पर प्रवेश शुल्क देखकर सिर झुका लेते हैं। किताबें खरीदना, फ़ॉर्म भरना, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना — ये सब उन छात्रों के लिए एक सपना बनकर रह जाता है, जो रोज़ दो वक़्त की रोटी के लिए भी संघर्ष कर रहे होते हैं।

गरीबी सिर्फ पेट की भूख नहीं देती, यह आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को भी कुतरती है।

2. काम और पढ़ाई का संतुलन 

गांवों और छोटे कस्बों में बहुत से छात्र दिन में मज़दूरी करते हैं — किसी के खेत में, किसी की दुकान पर — और रात में ट्यूबलाइट की मंद रौशनी में किताबें खोलते हैं। उनके लिए समय भी एक संसाधन है जो हर रोज़ कम पड़ जाता है। न खाने का ठिकाना होता है, न पहनने का साधन। और फिर भी वो पढ़ते हैं — क्योंकि उन्हें पता है कि यही एक रास्ता है गरीबी की ज़ंजीरें तोड़ने का।

3. समाज की बेरुखी और व्यवस्थागत असमानता

जब कोई छात्र फटी कॉपी लेकर स्कूल आता है, तो उसे पढ़ने से ज़्यादा सहने की आदत डालनी पड़ती है — सहपाठियों की हंसी, शिक्षकों की उपेक्षा और समाज की ठंडी निगाहें। सरकार की योजनाएं काग़ज़ों में अच्छी लगती हैं, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त में बहुत कम छात्रों तक सही मदद पहुँच पाती है।

4. फिर भी उम्मीद ज़िंदा है 

इन तमाम कठिनाइयों के बावजूद, ऐसे लाखों छात्र हैं जो हार नहीं मानते। जिनकी जेब खाली होती है, लेकिन हौसले भरे होते हैं। जिनकी आँखों में आँसू होते हैं, लेकिन उन्हीं आँखों में सपने भी पलते हैं। वे जानते हैं कि अगर उनके पास सब कुछ नहीं है, तो भी उनके पास कलम है — और यही कलम एक दिन उन्हें वहां ले जाएगी, जहां वो दूसरों की ज़िंदगी बदल सकें।

निष्कर्ष 

छात्र जीवन केवल मस्ती, दोस्ती और परीक्षा का नाम नहीं है। यह एक संघर्ष है — विशेषकर उन युवाओं के लिए जिनके पास साधन नहीं, सिर्फ़ सपने हैं। हमें ऐसे छात्रों की मदद करनी चाहिए, उन्हें समझना चाहिए, और सबसे ज़रूर उन्हें सुनना चाहिए। 

क्योकि कलम का बोझ तब तक भारी रहता है, जब तक समाज उसकी कीमत नहीं समझता। 



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