Wednesday, May 21, 2025

झील किनारे तन्हा खड़े


 झील किनारे तन्हा खड़े, कुछ ख्वाब पुराने जाग उठे,
पानी में चाँद उतर आया, ज्यों दिल के राज़ बयां हुए।
हर लहर कुछ कहती सी थी, हर सन्नाटा सुनता था,
तेरी यादों की बारिश में, ये दिल भीगा-भीगा सा था।
~ संजीव कुमार

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